Thursday, September 9, 2010

राम जियावन - भोजपुरी के तुलसीदास


हम फकीरों से जो चाहे दुआ ले जाए,

फिर खुदा जाने किधर हमको हवा ले जाए,

हम सरे राह लिए बैठे हैं चिंगारी,

जो भी चाहे चिरागों को जला ले जाए,

हम तो कुछ देने के काबिल ही कहां हैं लेकिन,

हां, कोई चाहे तो जीने की अदा ले जाए

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