शिकायत
ए सनम तुझसे ही करते हैं शिकायत तेरी
हमको बर्बाद न कर दे कहीं चाहत तेरी
हम तो बस शाम-ओ-सहर याद तुझे करते हैं
बेवफा तू है, भूल जाना है आदत तेरी
ले गया छिनके तू मुझसे मेरा सबर-ओ-करार
फिर भी ये दिल है की करता है इबादत तेरी
तेरे बंदे हैं, तुझे अपना खुदा मानते हैं
अपनी हर सांस को समझा है इनायत तेरी
दिल तेरा, हम भी तेरे, जान तेरी, रूह तेरी
दिल की धड़कन भी मेरे पास अमानत तेरी
मैं ही तुझमें हूँ और तू ही बसा है मुझमें
'रूह' तुझसे ही करें कैसे शिकायत तेरी ?
1 comment:
wow really very nice!!!!!
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